ज़िंदगी तुझ पे छोड़ दी मौला ले चल तू मुझे जहां मौला कुव्वत कहां राह ढूंढ पाऊं तू ही मेरा... रहनुमा मौला @ पुनीत पाठक
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Showing posts from July, 2019
जाने किस सोच में खोया सा हूं मैं...
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जाने किस सोच में खोया सा हूं मैं किन ख़यालात में डूबा उतराया अपनी ही सोच में गुम सा हूं मैं ज़िंदगी दहकता अंगार सा है उसके धूएं में सब धुंधला सा है धुएं को पी कर ख़ुश सा हूं मैं जाने किस सोच में खोया सा हूं मैं ज़िंदगी ने सवाल कितने किए हर क़दम प्रश्नचिन्ह प्रस्तुत किए जवाब सबके होना मुमकिन नहीं ढूंढने में मगर कोताई नहीं सवालों में ही कुछ उलझा सा हूं मैं जवाब ढूंढने में ही खोया हूं मैं उनके ही सोच में खोया सा हूं मैं ये अंगार जब बुझता सा लगे कुछ अजीब सा मुझको जो लगे ज़िंदगी ठंडी मुझको ना भाए दहकता शोला फिर उसपे रखूं मैं ज़िंदगी का नाम गर्मजोशी ज़िंदा रखने में ही मसरूफ़ हूं मैं इन्हीं सब में ही बस खोया हूं मैं देखो कितना ज़हर उगलती ये घड़ी भर को भी ना छोड़े है ये मगर मैं हूं कि जज़्ब कर रहा हूं ज़िंदगी का गरल बस पी रहा हूं नीलकंठ सा बस जी रहा हूं कब तलक जी पाऊंगा ऐसे ही मैं इन्हीं ख़यालों में खोया सा हूं मैं @ पुनीत पाठक
A Drop in Ocean or Ocean in a drop
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मित्रों यह मेरा नया ब्लॉग है। जिसमें मैं अपनी हिंदी तथा इंग्लिश में लिखी गयी कवितायें पोस्ट करूंगा। हम सभी इस संसार रुपी समुद्र में एक बूँद से ज़्यादा शायद कुछ भी नहीं। लेकिन फिर अगर हम एक बूँद ही हैं तो फिर यह बूँद पूरे सागर की क्षमताओं को अपने समेटे है। पूरे सागर का एक छोटा सा miniature है यह बूँद जिसमे असीम संभावनाएं आत्मसात किये है। इसी विचार से मैंने अपने ब्लॉग का नाम 'A Drop in Ocean or ocean in a drop' रखा है। पेशे से मैं एक Indian Forest Officer हूँ तथा बैंगलोर में पोस्टेड हूँ। हिंदी में कवितायें करना मेरा एक शौक है, एक शगल है। मेरा लेखन स्वंत सुखाय है। आशा है मेरी इस यात्रा में आपका भी सहयोग मिलेगा। तथा हम मिलकर इस यात्रा का आनंद उठा पाएंगे। बहुत बहुत धन्यवाद आपका। पुनीत पाठक